Monday 4 March 2019

हिरोइन की हत्या- आनंद कुमार सिंह

हीरोइन की हत्या-लेखक-आनंद कुमार सिंह*
           मुख्य पात्र
यश खांडेकर - प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर
बलदेव नारंग - पुलिस इंस्पेक्टर
जागृति - खांडेकर की सहायक
निवेदिता - मकतूल की सिस्टर
जोया - नर्स
  कहानी की शुरुआत होती है हॉस्पिटल से जहां प्राइवेट
इन्वेस्टिगेटर यश खांडेकर एडमिट तथा गिरफ्तार भी है और साथ ही बेहोश भी, होश आने पर खांडेकर को अहसास होता वह सिर पर अाई गहरी चोट के चलते अपनी याददाश्त खो चुका है और साथ ही वो किसी अभिनेत्री के मर्डर के जुर्म में गिरफ्तार है, पहले से दर्द से फटे जा रहे सिर पर ज़ोर डालने पर भी वो अपना नाम तक याद नहीं कर पाता तो मर्डर किसका हुआ किन परिस्थितियों में हुआ तथा वो क्यों इन्वॉल्व था इस मर्डर में ये बातें तो क्या याद आनी थी। आगे उसका ब्यान लेने आ पहुंचा कड़क काबिल ईमानदार इंस्पेक्टर बलदेव नारंग को इस बात पर रत्ती भर विश्वास नहीं होता है कि खांडेकर अपनी याददाश्त खो चुका है। अजीब कशमश में फंसे खांडेकर को थोड़ी राहत और अपनी पहचान तथा परिस्थितियों की जानकारी जोया से हासिल होती है जो कि अपने आप को उसकी सहायक बताती है तथा काफी मुश्किलात से खांडेकर से मिलने का जुगाड कर उससे मिलने पहुंचती है। आगे उसे जोया से पता चलता है कि वो यानी खांडेकर एक टॉप मोस्ट प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर था तथा कई हाई प्रोफ़ाइल केसेस बड़ी कामयाबी से सुलझा चुका था। फिर आगे क्या हुआ, किस तरह एक काबिल प्राइवेट* इन्वेस्टिगेटर खांडेकर खुद को इन परिथितियों से उभार पाया और इस तरह से शुरू हुई एक तेज़ रफ्तार डिटेक्टिव इन्वेस्टिगेशन जो कि कई रोचक प्रसंगों से गुजरते हुए असली कातिल को बेनकाब होने पर खत्म होती है।

       पिछले दिनों बहुत थोड़े ही वकफे में कई नए लेखकों द्वारा लिखे इस जेनर के कई नॉवेल पढ़े पर एक आध को छोड़कर सभी से निराश ही हुआ, कहीं अनगढ़ लेखन तो कहीं रिपीटेटिव डायलॉग्स किसी में कथानक से जबरदस्ती खींच- तान तो कहीं कथानक के सभी सूत्र बिखरे हुए और कहानी पर कोई पकड़ नहीं।
         इसलिए इस कथानक को भी मैंने कोई खास उम्मीद लगाकर न शुरू किया पर यकीन जानिए चंद पन्ने ही पल्टे अपने किंडल पर और कहानी ने बेतहाशा रफ्तार  पकड़ ली और आखिर पूरा नॉवेल वन गो में ही खत्म किया।*
कहानी का एक नहीं की  "यू. एस. पी." है
1)सबसे पहले कहानी की सुंदर और सशक्त रचना प्रस्तुति।
2)पात्रों का सटीक चरित्र चित्रण। (सिर्फ एक पात्र को छोड़कर जिसका कि मैं आगे जिक्र करूंगा।)
3)कहानी का सिर घुमा देने वाला धांसू प्लॉट जिसे पढ़कर इस बात पर यकीन करना खासा मुश्किल हो रहा की ये किसी नए लेखक की पहली ही रचना है।
4)लेखन शैली लाजवाब और कमाल है फकत कुछ एक लेखकों को ही ये इल्म हासिल होता है कि वो पूरी कहानी एक ही लय में बिना कहानी को खींच तान के रोचकता से शुरू और खत्म कर सके और ये कमाल इस कहानी को पढ़कर आप खुद महसूस करेंगे।
5) एक मर्डर मिस्ट्री का सबसे जरूरी इंग्रीडिएंट होता है सशक्त मिस्ट्री/रहस्य, जो अंत तक बना ही न रहे बल्कि, अंत में पाठक को चौंका देने में भी सक्षम हो, तो इस मैदान में भी लेखक महोदय सफल हुए हैं।
मेरी परख से इस आला दर्जे की बेहतरीन थ्रिलर मिस्ट्री को।
4 स्टार्स आधा स्टार नॉवेल के टाइटल के लिए कट करता हूं जो कि 80 और 90 के दशक का लगता है जो की इतनी बढ़िया मिस्ट्री के स्तर से बिल्कुल मेल नहीं खाता और आधा स्टार में एक पात्र के चरित्र चित्रण के लिए कट करता हूं, कथानक में एक किरदार है मिकी जिसे की एक एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट किलर बताया गया है जो की एक   सिक्योर चैनल के जरिए ही कोई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करता है तथा विदेशों में तक ख्याति प्राप्त है फिर अचानक से उसे किसी लोकल क्रिमिनल के पिट्ठू सा चित्रित कर दिया है जो कि मेरे हिसाब से सही नहीं, इसलिए इस नॉवेल के लिए मेरी रेटिंग-  4/5 
           मैं इस नॉवेल को इस विधा में एक काबिल लेखक का लोकार्पण मानते हुए उनका स्वागत करता हूं और उम्मीद है जल्द ही वो ऐसे और रहस्य रोमांच कथानक परोसेंगे और साथ ही मैं उनको प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर यश खांडेकर और इंस्पेक्टर बलदेव नारंग को रिपीट करने की इल्तिज़ा भी करता हूं।
समीक्षक-  ....

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