Thursday 11 January 2018

तुरूप का इक्का- गजाला

जासूस गजाला प्रियदर्शी का कारनामा
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    गजाला जी का उपन्यास तुरूप का इक्का पढने को मिला, यह उपन्यास एक एक्शन उपन्यास है। एक्शन उपन्यास पढने वालों को काफी पसंद आयेगा।
यह गजाला जी का पहला उपन्यास है
    
   उपन्यास की कहानी की बात करें तो यह कहानी इजराइल और फिलिस्तीन के मध्य चल रहे संघर्ष पर आधारित है। जहाँ दोनों देश एक- दूसरे पर अपनी विजय दर्शाने के लिए संघर्ष करते हैं तो वहीं कुछ निर्दोष इस संघर्ष की बलि चढ जाते हैं।
   ऐसे ही एक निर्दोष को बचाने के लिए गजाला प्रियदर्शी पहुंच जाती है इजराइल। लेकिन वहाँ फंस जाती है सत्य और असत्य के बीच।
   
जासूस गजाला प्रियदर्शी फिलिस्तीन देश में एक लङके को बचाने के लिए जाती है पर वहाँ जाकर खुद फंस जाती है और वहाँ एक छोटी सी बच्ची अदिया भी मिलती जिसे बचाने के लिए गजाला दुश्मनों से भीङ जाती है और अंत में दुश्मनों को खत्म कर जीत जाती है।

पूरे उपन्यास में एक्शन दृश्यों की भरमार है, कई- कई जगह तो मारधाङ तीन- चार पृष्ठ तक लगातार चलती है। तीन सौ पृष्ठों के उपन्यास में से लगभग सौ पृष्ठ तो एक्शन से भरे हुये हैं।

   लेखिका के प्रथन उपन्यास को पढकर जहां उनकी प्रतिभा का पता चलता है वहीं कहानी के स्तर पर उपन्यास मध्यम स्तर तक भी बहुत कठिनता से पहुंचता है। उपन्यास को आवश्यकता से अधिक विस्तार देकर कहानी को और भी कमजोर कर दिया।
    हर पांच- दस पृष्ठ कर पश्चात पाठक को वही मारपीट वाले दृश्य पढने को मिलते हैं।
   उपन्यास बहुत ही अच्छा है, अच्छा उपन्यास पाठक को पसंद आयेगा। इसकी कहानी दो देशो पर आधारित है जो पढने वाले को अच्छी लगेगी।

प्रकाशक- रवि पॉकेट बुक्स- मेरठ

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