Tuesday 21 November 2017

ए टेरेरिस्ट- इकराम फरीदी

ए टेरेरिस्ट उपन्यास की समीक्षा

इकराम फरीदी द्वारा लिखित  a टेरेरिस्ट पढ़ा हमेशा की तरह लेखक ने मानवीय भावनाओं को बहुत ही अच्छी तरह उकेरा है इस फील्ड में आप महारत हासिल करते जा रहें हैं । मुस्लिम वर्ग के दूसरे पहलू को भी आपने बहुत अच्छे से पेश किया मैं आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ हर वर्ग में शरारती तत्व होतें हैं जो पूरे वर्ग का नाम खराब करते हैं ऊर्दू के शब्दों का इस्तेमाल आप ने बहुत ही अच्छे से किया ।
मुझे  नॉवल से शिकायतें भी  रही जो निम्न है

शिकायतें
1 विजय के टीम मेम्बर का नाम असरफ है असफाक नही  जो शायद मिस्प्रिंटिंग है
2 विजय पहले सिक्रेट सर्विस का चीफ था फील्ड में काम करने के लिए उसने जानबूझकर गृह मंत्री जी को बोलकर  अजय को चीफ बनाया ।  अब अजय ही ऑफिसियल व पेरमनानेट चीफ है विजय  सिर्फ इमरजेंसी में ही चीफ के पद का इस्तेमाल  करता है । इसलिए वो कभी भी ऐसी कोई मीटिंग अटेंड नही करता ऐसी मीटिंग अजय अटेंड करता है । ओर अजय विजय का चचेरा भाई है
3 जब गुप्त भवन में मीटिंग होती है तो विजय भी सभी मेंबर की  तरह चीफ का सम्मान करता है लेकिन आपने उसे चीफ के सामने कुछ ज्यादा ही बेतलक्लूफ बना दिया  जो अटपटा लगता है ।

4 मस्जिद के सीन में उर्दू भाषा को दिल खोल कर लिखा है जो  थोड़ा सा ज्यादा हो गया मुझ जैसे पाठक वर्ग  जो उर्दू से दूर है उसे  दिक़त होती है ।

सुझाव
अगर ये नॉवल विजय विकास सीरीज का न होता तो बहुत ही गजब ओर जबर नॉवल होता ।
अगर आप कोशिश करें तो इस सीरीज को अच्छे से आगे बढ़ा सकतें है । आपने विजय को बहुत अच्छे से दिखाया है विजय का वही अंदाज बहुत दिनों बाद पढकर बहुत अच्छा लगा आशा है भविष्य में इस सीरीज पर बहुत जबर नॉवल पढ़ने को मिलेंगे

धन्यवाद सहित
 राममेहर सिंह

1 comment:

  1. आपने बहुत अच्छी समझी लिखी है।
    धन्यवाद।

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