Sunday 30 December 2018

रावायण- सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर', मनीष खण्डेलवाल

रावायण- सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर', मनीष खण्डेलवाल
समीक्षा- दीपाली कृष्णा

हम कोई बहुत बड़े समीक्षक नहीं है फिर भी जो महसूस किया वो लिख रहे हैं, उम्मीद है कि कुछ हद तक सही होंगे हम।

#रावायण
सिद्धार्थ सर और मनीष सर की ये किताब कहानी है,जीतू की व उसके परिवार की। जीतू, जो खानदानी ठरकी है अब खानदान भी ठरकी है तो लड़के का ऐसा होना लाज़मी है।
कहानी में पड़ोसन है, अम्मा है, बिटिया है और एक हीरो है रावण इसलिए नामकरण हुआ #रावायण।
इसमें हास्य रस भरपूर है, बीच में इश्क़,थ्रिलर,नाखून कुतरने वाली हालात ,मारधाड़, इमरान हाशमी और मर्डर भी है।
कह सकते हैं कि साउथ की, बॉलीवुड की मसाला फिल्मों को मिला कर घोटा जाए तब मिलती है रावायण।
सिद्धार्थ सर से हम पहले से वाकिफ़ है, हाँ मनीष सर से परिचय पहली दफा हुआ है, पर अब हम कह सकते हैं कि दोनों ही बेहतरीन है।

~घर में इतने मेहमान आते,मैं हमेशा सोचता हमारे घर को धर्मशाला क्यों न कहते।

मौसी व उनके बच्चे रामलीला देखने आये है,एक ही खर्चे में वो 2 रामलीला देख लेते।एक रामलीला मैदान वाली एक हमारे घर की।
सुनो तुम बहुत ऊँचे जाओगे।
मेरे लिए ऊँचे जाने का मतलब था अब मैं छत
के भी जाले साफ़ करूँगा।~

कहानी के शुरू में ही बता दिया कि घर बस नाम का घर है, बाक़ी आने वाले रिश्तेदारों ने उसको धर्मशाला समझ ही लिया है।
हाँ, इस सबसे हमको अपना गांव वाला घर याद आ गया, वहाँ भी जून में मेला लगता है और फिर घर धर्मशाला में तबदील हो जाता है, हम वही माहौल पढ़ने को मिला।

-ज्ञान

जीतू छत में बियर पी रहा होता है, बड़ा भाई अजय आता है और उसे पकड़ लेता, बियर नीचे गिर जाती(दिल दहल गया हमारा ये पढ़ कर)। घरवाले आ जाते है।
अजय : माँ देखो ये शराब पी रहा है।
जीतू के पापा : ये तो बियर है।
जैसा कि श्रीकांत सर और सिद्धार्थ कृष्ण सर बता चुके हैं बियर और शराब दो अलग अलग चीज़ें है। और बीयर वालो को शराबी कहना पाप है। इस महान तथ्य को स्पष्ठ करने के लिए लेखकों को व्यवस्था समाज की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद
छोटी छोटी बातों में प्यार समेट लिया है इस क़िताब ने और यही पढ़ने वाले को एक अलग सी खूबसूरत दुनिया में ले जाता है, किताब में जो प्यार वाली छोटी छोटी चीज़ें लिखी गई है वो हर प्रेमी प्रेमिका ने कभी ना कभी जी होती है।
ख़ुद मे बहुत प्यार समेटी है ये कहानी।
क़िताब पढ़ कर समझ आया कि कई बार समाज अच्छे भले इंसान को बुरा बनाने में कसर न छोड़ता।

-शमशेर
हमको सबसे ज्यादा पसन्द आया शमशेर का कैरेक्टर, कमाल है वो। शमशेर कहानी का सबसे बेहतरीन और मजबूत चरित्र है।
कई बार हंसाता है तो रुला भी देता है। लोग इसे गलत मान लेते पर बन्दा दिल से हीरा है, अब लोगो का क्या है, वो तो है ही.........
जब रामलीला में काम करने वाला शमशेर उर्मी को बचाते हुए मारा जाता है, हाँ बस यही रुला देता है, जब शमशेर की लाश पड़ी है और रामलीला वाले कह रहे होते हैं कि ये रावण तो वाकई भरोसे के लायक नहीं है ,निकम्मा है लापरवाह है, जबकि उसी शमशेर ने एक अनजान के प्यार की खातिर जान दे दी। किताब में गज़ब का रोमांच और रोमांस भरा पड़ा है।

जीतू को वकील होना चाहिए, लड़के की हाज़िरजवाबी कमाल की है और पूरे परिवार की ठरक को संतुलित मात्रा में दर्शाना, अपने आप में कमाल है।
बस एक बात समझ नहीं आयी कि जीतू का सबसे छोटा भाइया बीच में कहाँ से प्रकट हो जाता है।

सिद्धार्थ सर और मनीष सर, किताबें मिलती नही है मेरे यहाँ आसानी से, इसलिये रावायण को किंडल पर लाने के लिए धन्यवाद आपका,पहली दफा मुझे किंडल पर क़िताब पढ़ कर अच्छा लगा, अब लग रहा है कि किंडल के पैसे वसूल हो गए मेरे, एक बात ये भी समझ आ गयी कि किताब में किंडल छिपा कर पढ़ते समय कितना सचेत रहना चाहिए। बाकी रावायण पढ़नी चाहिए हर किसी को।

रावायण लिखने के लिए शुक्रिया सर।
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समीक्षा- दीपाली कृष्णा

दीपाली कृष्णा जी के फेसबुक से रावायण