Sunday 26 November 2017

बंधक- अनिल मोहन

                   बंधक
अनिल मोहन की कलम से निकला एक बेहतरीन उपन्यास जिसे मैं 4 स्टार की रेटिंग देता हूँ।
कहानी की शुरुआत होती है पाकिस्तान के खुशाब शहर से।
वो कुल दस लोग थे, जिनको भारत में मुम्बई के बाद अब दिल्ली पर एक आतंकी हमला करने के लिए भेजा जाना था।
और उनका मुखिया था अली जो कि बेहद फुर्तीला चालक
नौजवानों को बरगलाने में माहिर।
दूसरी तरफ अग्रवाल अपनी कुकर्मी के कारण फिर से तीसरी शादी कर लेता है और उस नई मुसीबत से उसे बचाने के लिए देवराज चौहान दिल्ली आ जाता हैं।
 एक तरफ मोना चौधरी और महाजन भी दिल्ली से है और वो अजीत सिन्हा के काम से पाकिस्तान जाने को तैयार हो जाती है जहां उन्हें अली को मारना होता है।
उधर मोना चौधरी ओर महाजन टिथवाला(कश्मीर घाटी की एक जगह जो सिमा से 7 km दूर है)
के रास्ते से शंकर की सहायता से सीमा पार करते है और ठीक उनसे पहले दिन शंकर की सहायता से वो दस आतंकी लड़के भारत मे घुसते है।
उधर मोना पाकिस्तान में अली को ढूंढने लग जाती है और इधर अली के दस गुर्गे दिल्ली में अपनी दहशत फैलाने को तैयार होते है।
उनको कंमाण्ड देने वाला 'लीडर' उन दसों को भारत मे सब तरह के हथियार उपलब्ध करवाता है और 4,3,3, की तीन टीम बनाकर अलग अलग जगह दिल्ली में लाशें बिछाने ओर बंधक बनाकर भारत सरकार से 4 आंतकवादियो को जेल से रिहा करवाने की शर्त रखते है।
जिस रॉयल नाईट क्लब को आंतकियों की टीम 1 अपना शिकार बनाती है वही पर जगमोहन, सोहनलाल व नानिया भी फंस जाते है और बंधक बना जाते है।
इस तरह देवराज चौहान इस मामले से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ जाता है।
टीम 2 राजोरी गार्डन पब्लिक स्कूल को निशाना बनाती है और टीम 3 विकासपुरी के सिनेमा हॉल को पर उनका एक साथी पकड़ा भी जाता है ।
उन नौ आंतकवादियों के पास 230 के करीब बंधक होते है और 500 से ज्यादा से ज्यादा को मार देते है।
पूरी दिल्ली दहल जाती है
सरकारी मशीनरी भागदौड़ सुरु कर देती है।
उधर देवराज चौहान भी जगमोहन को रॉयल नाईट क्ल्ब से निकलने के लिए अपनी कार्यवाही शुरु कर देता है,,,,

जारी है.............

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और
वांटेड अली
ये 1000 पेज की महागाथा है जिसने बिक्री के भी नए कीर्तिमान बनाये थे।

गुप्ता जी (राजा पॉकेट बुक्स) को इनका  तुरंत  दूसरा संस्करण लाना पड़ा था।
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समीक्षा- बबलु जाखङ
सिरसा- हरियाणा

5 comments:

  1. वाह भाई बहुत ही सुंदर लिखा आपने

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  2. बबलु भाई ने अच्छी समीक्षा लिखी है।
    उपन्यास पढने की इच्छा जागी है।

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  3. पढ़िये सर वास्तव में जबर है

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  4. जरूर पढियेगा भाई

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