Sunday 24 February 2019

आॅप्रेशन AAA- मोहन मौर्य

आॅप्रेशन- AAA- मोहन मौर्य
समीक्षक- संजीव शर्मा

साहब जी,
किताब पढ़ कर खत्म की
सॉरी लेकिन बिल्कुल पसंद नही आई
किताब का शीर्षक attractive है पर कहानी को सूट नही करता है
कहानी 1970 - 80 की फिल्मों की कहानी जैसी लगी
जो अच्छी तो है पर फ्री में पढ़ने को मिले तो ठीक पर 120 रुपये खर्च करने लायक नही
175 पेज की किताब ऊपर से पार्ट में मतलब एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा एक ही पार्ट 300 या 350 पेज का होता तो ठीक था
दूसरे पार्ट के लिए फिर 120 रुपये खर्च करने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा
तीन छोटी छोटी कहानी को लिख कर नॉवेल लिखी
कहानी भी ऐसी जिनमे कुछ खास दम नही थ्रिल नही ट्विस्ट नही
कहानी में आगे क्या होगा वो पहले से पता चल जाये खास कर उन पाठकों को जो 20 से 30 बरस से अनिल मोहन वेद प्रकाश  शर्मा कंबोज जी , सुरेंद्र मोहन पाठक जी को पढ़ रहे हैं
मोहन जी
कहानी लिखने से पहले कहानी के करैक्टर को स्ट्रांग बनाये
जो किताब पढ़ने के बाद भी याद रहे जैसे सुनील, विमल विजय विकास, देवराज चौहान
आपकी कहानी भले ही अच्छी हो दमदार नही है
कहानी कहने का अंदाजे बयां बडा कमजोर है
सीधी साधी कहानी से नही नावेल नही बनती नॉवेलअपने ट्विस्ट थ्रिल सस्पेन्स से दमदार बनती है
पहले पेज से पाठक किताब से जुड़ जाना चाहिए उसके पात्रों से जुड़ना चाहिए
पर ऑप्प्रेशन a a a बड़ी कमजोर और पुराने जमाने की कहानी लगी
जिसके लिए 120 रुपये खर्चना महंगा काम है
5 में से सिर्फ 2 स्टार आपकी मेहनत लगन के लिए।



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