काॅनमैन- सुरेन्द्र मोहन पाठक
समीक्षक- राममेहर सिंह, जींद, हरियाणा।
आज ही कॉनमैन पढ़ा तो समीक्षा लिखने की इच्छा हुई ।
कॉनमैन मुझे बेहद पसंद आया । लम्बे समय बाद सुनील अपने पूरे रंग में था । ओर अपने बड़े भाप्पा जी का तो कहना ही क्या वही स्मार्ट टाक फिर से पढकर बहुत अच्छा लगा । कहानी बहुत ही अच्छी व कसी हुई लगी । कातिल का एहसास तो आधे नॉवल में हो गया था लेकिन ये पढ़ना वाकई दिलचस्प लगा कि अपना सुनील भाई मुल्तानी कैसे उसे लपेटे में लेता है ओवरआल नॉवल पढ़ कर मायूसी नही हुई पूरे पैसे वसूल हो गए ।
अब बात खामियों की ।
मेरी नजर में सम्पूर्ण नॉवल चाहे वे एसएमपी सर के हों या आज के समय के किसी अन्य लेखक के कम ही हैं क्योंकि आज के जमाने मैं हम हर तरह की बुक्स मूवीज वगैरह बहुत पढ़ते व देखतें हैं ओर जो चीज मुझे हमारे ( खासकर भारतीय ) लेखकों की कहानी में बहुत खलती है वो है आज के जमाने की टेक्नॉलजी के साथ सही तरीके से न्याय नही कर पाना । लेकिन मुझे आशा थी कि एसएमपी सर इसका बाखूबी इस्तेमाल करेंगें । क्योंकि मेरी नजर में सर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि आप किसी भी विषय चाहे वो पोस्टमार्टम हो या कोई जहर या कोई आला ए कत्ल उस पर बहुत मेहनत करतें आयें है और उसे बहुत ही बेहतरीन तरीके से पेश करते आएं है । लेकिन बड़े खेद के साथ लिखना पड रहा है कि आप भी आज के जमाने की टेक्नोलॉजी के साथ समन्वय नही बैठा पा रहें है । यही कमी इस नॉवल में भी मुझे अखरती रही ।
जैसे की
1 आपने दिखाया है की कातिल लॉबी के सीसीटीव में जाते समय तो केप्चर होता है तो आते समय क्यों नही । यही बात अन्य सस्पेक्ट पर लागू होती है । क्योंकि आज हर बढ़िया होटल में सीसीटीव सिक्योरटी के लिहाज से जरूरी हैं । आज अगर ऐसी कोई वारदात होती है तो पुलिस सबसे पहले सीसीटीव ही खंगालती है चाहे वो कितने भी दिन पुरानी क्यों न हो और इस कहानी में तो वो एक मुख्तसर समय की ही खंगालनी थी ।
2 मोबाइल लोक्शन ट्रैकिंग
ऐसी किसी भी वारदात में पुलिस सबसे पहले मकतूल के नजदीकी व पिछले कुछ समय तक टच में रहे सभी कैंडिडेट की डिटेल , लोक्शन वगैरह पर सबसे पहले ध्यान देती है जिससे उसका काम बहुत ही आसान हो जाता है और कातिल कुछ समय के बाद ही हिरासत में होता है । आज के समय में 90 परसेंट केस ऐसे ही हल होते हैं ।
अब बात आती है इस तरह से तो कहानी ही नही बनेगी । सर यँहा पर मैं एक ही बात कहूँगा की सर जो कर गुजरें वो कम है । खासकर सर से तो मुझे यही उमीद थी लेकिन मुझे निराशा ही हाथ लगी । आशा है सुनील, सुधीर या मुकेश माथुर सीरीज का अगला जो भी नॉवल होगा उसमे आप टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल मिलेगा।
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